राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आय
- सामान्यतया समस्त निर्मित माल एवं एक निश्चित समय अंतराल(सामान्यतया एक वर्ष) में देशभर में दी जाने वाली सेवाओं के कुल मूल्य को राष्ट्रीय आय के रूप में परिभाषित किया जाता है|
राष्ट्रीय आय के मापांक निम्न प्रकार हैं-
(A) GDP (सकल घरेलू उत्पाद)
(B) GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पाद)
(C) NNP (कुल राष्ट्रीय उत्पाद)
(D) PI (निजी आय)
(E) DPI (अवशिष्ट निजी आय)
(A) GDP (सकल घरेलू उत्पाद)-
- एक निश्चित समय अंतराल के दौरान देश की भौगोलिक सीमा के अंतर्गत उत्पादित समस्त माल एवं सेवाओं के कुल मूल्य को GDP कहते हैं(सामन्यतया एक वर्ष)
- इसमें निजी नागरीकों एवं विदेशी राष्ट्रों जो उस देश की सीमा के अन्दर रहते हैं, द्वारा उत्पादित सभी माल/सेवाओं को शामिल किया जाता है|
- उदाहरण-
माना कि कुल 100 करोड़ भारतीय हैं जिन्हें भारतीय क्षेत्र में 100 करोड़ रुपयों की आय प्राप्त होती है और 1 करोड़ विदेशी हैं जिन्हें भारतीय क्षेत्र में 10 करोड़ रूपये प्राप्त होते हैं और वे उन्हें अपने क्रमशः देशों में भेजते हैं| उसी समय विदेश में रह रहे 10 करोड़ भारतीय 40 करोड़ रूपये प्रापर करते हैं और इसे भारत भेजते हैं| यहाँ, GDP (100 + 10 = 110 करोड़) है|
(B) GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पाद)-
- भारतीयों द्वारा भारत एवं विदेश में किसी न्सिचित समय अंतराल के दौरान उत्पादित होने वाले तैयार माल एवं सेवाओं के कुल मूल्य को GNP कहा जाता है|
- GNP में किसी देश के निवास करने वाले एवं निवास नहीं करने वाले नागरिकों द्वारा उत्पादित माल का मूल्य शामिल किया जाता है जबकि भारत में रहने वाले विदेशियों की आय को शामिल नहीं किया जाता है|
- उदाहरण-
माना 100 करोड़ भारतीय हैं जिन्हें भारतीय क्षेत्र में 100 करोड़ रूपये प्राप्त होते हैं एवं भारतीय क्षेत्र में 1 करोड़ विदेशी हैं जिन्हें 10 करोड़ रूपये प्राप्त होते हैं और इसे वे क्रमशः देशों में भेजते हैं| उसी समय विदेशी देशों में रह रहे 10 करोड़ भारतीय 40 करोड़ प्राप्त करते हैं और इसे भारत भेजते हैं|
यहाँ, GNP, (100 + 40 = 140 करोड़) है|
हम कह सकते हैं GNP = GDP + विदेश से आने वाली शुद्ध कारक आय(निर्यात – आयात)
GNP = 110 + (40 – 10) = 140 करोड़ रूपये
(निर्यात में आवक विप्रेषण एवं आयात में जावक विप्रेषण)
(C) कुल राष्ट्रीय उत्पाद(NNP)-
- इसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद(GNP) में से ह्रास को घटाकर प्राप्त किया जाता है|
- NNP = GNP – ह्रास
विशेष-
उपादान लागत- माल के उत्पादन एवं सेवा में लगने वाली लागत
बाज़ार दर- बाजार दर ज्ञात करने के लिए हम अप्रत्यक्ष कर को जोड़ते हैं और उपादान लागत में सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुवृत्ति को घटाते हैं|
बाजार दर = उपादान लागत + अप्रत्यक्ष कर – अनुवृत्ति
- उपादान लागत पर NNP = बाजार दर पर NNP – अप्रत्यक्ष कर + अनुवृत्ति
- सामान्यतया हम उपादान लागत पर NNP को राष्ट्रीय आय कहते हैं|
- उपादान लागत पर NNP के समान ही, हम उपादान लागत पर GDP भी ज्ञात कर सकते हैं|
(D) निजी आय-
- यह एक वर्ष में देश की जनता द्वारा प्राप्त होने वाली कुल आय का योग है|
निजी आय = राष्ट्रीय आय + भुगतान स्थानान्तरण – निगमित के अप्रकाशित लाभ + सामाजिक सुरक्षा प्रावधान हेतु भुगतान
- स्थानान्तरण भुगतान/अदायगी वह भुगतान है जो किसी उत्पादक कार्य के विपरीत नहीं होते हैं| (उदाहरण- वृद्धावस्था पेंशन, बेरोजगारी मुआवजा इत्यादि|)
- सामजिक सुरक्षा प्रावधान- कर्मचारियों द्वारा PF, बीमा इत्यादि के लिए भुगतान बनाना|
(E) अवशिष्ट निजी आय-
- प्रत्यक्ष कर घटाने के बाद निजी व्यक्ति के पास उपलब्ध आय|
- अवशिष्ट निजी आय = निजी आय – प्रत्यक्ष कर|
वास्तविक आय एवं सांकेतिक आय-
- यदि हम राष्ट्रीय आय की गणना हेतु आधार वर्ष मूल्य का प्रयोग करें, इसे वास्तविक आय कहते हैं|
- यदि हम राष्ट्रीय आय की गणना हेतु किसी विशेष वर्ष की बात करें(वर्तमान वर्ष), तो इस आय को नाममात्र/सांकेतिक आय कहते हैं|
GDP अपस्फीतिकारक-
- कुल मूल्य वृद्धि की गणना हेतु प्रयुक्त होता है|
- GDP अपस्फीतिकारक = सांकेतिक GDP/वास्तविक GDP
भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान
- 1868 में, दादाभाई नोरोजी ने एक पुस्तक ‘Poverty and Un British Rule in India’ लिखी| यह राष्ट्रीय आय की गणना पर पहला प्रयास था|
- वैज्ञानिक तौर पर राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने वाले प्रथम व्यक्ति डॉ. K. R. V. राव थे जिन्होंने 1925-29 के अंतराल के लिए राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया|
- स्वतंत्रता के बाद 1949 में C. महलानोबिस की अध्यक्षता के अधीन राष्ट्रीय आय संगठन बनाया गया|
- कुछ वर्षों बाद केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) बनाया गया|
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